अनजान सी डगर थी वो
अनजान ही था वो रास्ता
दिल को कसक दे गई
ऐसी है ये दास्ताँ
अनजान ही था वो रास्ता
दिल को कसक दे गई
ऐसी है ये दास्ताँ
चाँद पूनम का था
पर लुका छुपी का खेल
शायद खेल रहा आसमां
था दर्द लिए
तो डर भी लिए
बैठा था वो रास्ता
सहम जाये कोई भी
ऐसी है ये दास्ताँ
टपकती तरुदल से वे बुँदे
वो मिट्टी की सोंधी खुशबू
वो भीगी सी हवा
खुद में नमी लिए
और कोई कमी लिए
बैठा था वो रास्ता
लफ्ज़ ना दे पाएऐसी है ये दास्ताँ
सरसराहट पत्तियों की
आवाज़ टपकती बूंदों की
कदम छाप बड़ते क़दमों की
फिर भी एक ख़ामोशी
कोई दर्द भरी बात लिए
बैठा था वो रास्ता
खो जाये कोई
ऐसी है ये दास्ताँ
आगे बढ़ने से पहले
कदम ठिठकने लगे थे
कृन्दन के सुर बढने लगे थे
रुख हवा का भी अजीब था
जाने क्या राज़ लिएबैठा था वो रास्ता
सोचो ना इतना
भूतों की नहीं ये दास्ताँ
एक तेज था उस चेहरे पर
मायूसी थी आँखों में
मीठी वाणी उन होटों की
ऐसे किसी को लिए
बैठा था वो रास्ता
नहीं नहीं दोस्तों
प्यार की नहीं ये दास्ताँ
सिसकियों में एक आवाज आई
मैं सच्चाई हूँ,मैं जननी हूँ
यह विराना नहीं
सच का है यह रास्ता
कभी इससे आबाद संसार था
आज वीरान है ये रास्ता
खुद को आबाद समझ इठलाते
बर्बदों से जूडी ये दास्ताँ