खुद के मन पर ना,अब कोई बस रहा,
उनकी एक झलक को व्याकुल हो रहा,
इस कदर तो कभी राह से भटका ना था,
मगर अब राहों की मंजिलो की फ़िक्र नहीं,
भूल दुनियां की हर ज़िम्मेदारी को ,
बस सच और सपनो का जहाँ जोड़ रहा,
कोई शिकायत नहीं मुझको बहकने से,
मगर स्वप्न सदैव आँखों में ठहरता नहीं,
जाग फिर जीवन की राहों पर जाना है,
संग कोई हो ना हो सफर तो करना है|
उनकी एक झलक को व्याकुल हो रहा,
इस कदर तो कभी राह से भटका ना था,
मगर अब राहों की मंजिलो की फ़िक्र नहीं,
भूल दुनियां की हर ज़िम्मेदारी को ,
बस सच और सपनो का जहाँ जोड़ रहा,
कोई शिकायत नहीं मुझको बहकने से,
मगर स्वप्न सदैव आँखों में ठहरता नहीं,
जाग फिर जीवन की राहों पर जाना है,
संग कोई हो ना हो सफर तो करना है|
यहाँ एक ही बात हर शख्स कहता है ,
सपनो की खातिर ज़माने के साथ चलो ,
मगर ज़माना ही सपनो में अड़चन है ,
सपनो की खातिर ज़माने के साथ चलो ,
मगर ज़माना ही सपनो में अड़चन है ,
संग चलूँ ज़माने के तो सपने छूटते है ,
ना संग चलूँ तो कई अपने रूठ जाते है ,
ना संग चलूँ तो कई अपने रूठ जाते है ,
क्या है कोई तराजू ऐसा जिस पर,
दोनों की अहमियत का तोल कर सकूँ ,
सवालो से भरी जिंदगी का असमंजस है,
लगता है पाना मजिल को आसान ,
दोनों की अहमियत का तोल कर सकूँ ,
सवालो से भरी जिंदगी का असमंजस है,
लगता है पाना मजिल को आसान ,
मुश्किल मंजिल का चुनाव करना है,
इन्तेजार करती अब भी राहे है,
संग कोई हो ना हो सफर तो करना है|
संग कोई हो ना हो सफर तो करना है|